गीत – हर समय सुहाना है
कुछ उसने जाना है, कुछ मैंने जाना है।
जीवन को जीने का, बस एक बहाना है।।
कुछ अच्छा करने को, सब लोग यहाँ आते हैं,
रीती गागर लेकर, लेकिन जग से जाते हैं,
कुछ पुण्य कमा लो भाई, पूजा-वन्दन करके-
गंगा तट पर आकर भी, कुछ नहीं नहाते हैं,
किस्मत में जो लिक्खा, उतना ही पाना है।
जीवन को जीने का, बस एक बहाना है।।
मिलता अच्छे कर्मों का, दुनिया में यही सिला,
जो खिलकर मुस्काया, उसको ही प्यार मिला,
उपवन में आकर भी, ताजगी न जो पाया-
बे-वजह रहा करता, कुछ शिकवा और गिला,
मत दोष वक्त को दो, हर समय सुहाना है।
जीवन को जीने का, बस एक बहाना है।।
मैंने क्यों ज्यादा पाया, उसने ज्यादा क्यों खोया
वैसा ही सबने पाया, है जैसा सबने बोया,
मन साफ जरा करके, तन साफ करो अपना-
उतना ही साफ दिखा वो, जिसने वस्त्रों को धोया,
मन को भक्ति के जल से, हर रोज नहाना है।
जीवन को जीने का, बस एक बहाना है।।
गुलशन हरियाली बिन, लगता वीराना है,
उजड़ी बगिया में फिर, कुछ पेड़ लगाना है,
पुरखों की खातिर तुम, बन जाओ भगीरथ से-
इक और नई गंगा, धरती पे बहाना है।
मानवता का हमको, अस्तित्व बचाना है।
जीवन को जीने का, बस एक बहाना है।।
— डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’