कविता

सूर्य की तरह

यही स्वाभाव है,
समर्पित मन का संकल्प है,
हिमालय की परिकल्पना में,
सहृदय सद्भाव है।

नश्वर शरीर में मौजूद,
उम्मीद की किरण है।
नवीन चेतना को जागृत कर,
बनता सुकून का,
सबसे खूबसूरत स्मरण है।

यही एक सपना है,
न उगने का अभिमान है।
बहुत सुंदर प्रयास है,
यही उन्नत स्वाभिमान है।

निश्चित रूप से डूबने का नहीं डर है,
हमेशा समर्पित मन को,
इसकी इसी वजह से ही,
मिल जाता शब्दों से सराबोर,
कहलाता शख्सियत निडर है।

यही जिंदगी है,
यही उल्लास से मनाया गया त्योहार है।
क्षण भर में ही,
सब मानते हैं,
जिंदगी भर में,
सुकून देने वाली ताकत बनकर,
बन जाता उपहार है।

— डॉ. अशोक, पटना

डॉ. अशोक कुमार शर्मा

पिता: स्व ० यू ०आर० शर्मा माता: स्व ० सहोदर देवी जन्म तिथि: ०७.०५.१९६० जन्मस्थान: जमशेदपुर शिक्षा: पीएचडी सम्प्रति: सेवानिवृत्त पदाधिकारी प्रकाशित कृतियां: क्षितिज - लघुकथा संग्रह, गुलदस्ता - लघुकथा संग्रह, गुलमोहर - लघुकथा संग्रह, शेफालिका - लघुकथा संग्रह, रजनीगंधा - लघुकथा संग्रह कालमेघ - लघुकथा संग्रह कुमुदिनी - लघुकथा संग्रह [ अन्तिम चरण में ] पक्षियों की एकता की शक्ति - बाल कहानी, चिंटू लोमड़ी की चालाकी - बाल कहानी, रियान कौआ की झूठी चाल - बाल कहानी, खरगोश की बुद्धिमत्ता ने शेर को सीख दी , बाल लघुकथाएं, सम्मान और पुरस्कार: काव्य गौरव सम्मान, साहित्य सेवा सम्मान, कविवर गोपाल सिंह नेपाली काव्य शिरोमणि अवार्ड, पत्राचार सम्पूर्ण: ४०१, ओम् निलय एपार्टमेंट, खेतान लेन, वेस्ट बोरिंग केनाल रोड, पटना -८००००१, बिहार। दूरभाष: ०६१२-२५५७३४७ ९००६२३८७७७ ईमेल - [email protected]

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