लघु नाटिका- माँ की पुकार
स्थान: एक गाँव और सेना का शिविर
पात्र:
1. अर्जुन – एक युवा सैनिक
2. अर्जुन की माँ – देशभक्त माँ
3. कविता दीदी – लेखिका और शिक्षिका
4. राहुल – गाँव का बालक
5. समूह बालक/बालिकाएँ – कोरस और दृश्य निर्माण
6. घोषक (Narrator) – कहानी को आगे बढ़ाता है
दृश्य 1: गाँव का आंगन
(घोषक मंच पर आता है)
घोषक- यह कहानी है एक माँ की पुकार की। एक बेटे की वीरता की, और एक लेखिका की कलम की शक्ति की। यह कहानी है – “माँ की पुकार” की।
(अर्जुन अपनी माँ के साथ बैठा है। माँ उसके कंधे पर हाथ रखती है।)
माँ (भावुक होकर) बेटा, तुझे सीमा पर जाना है,पर याद रखना…तेरी माँ से पहले,यह धरती माँ तुझे पुकार रही है।
अर्जुन (दृढ़ स्वर में) माँ, मैं तेरा बेटा हूँ…तेरे आशीर्वाद से लौटूंगा, या तिरंगे में लिपटकर आऊँगा।
(कोरस गाता है धीमे स्वर में):
“उठो धरा के अमर सपूतों, माँ ने फिर पुकारा है…”
दृश्य 2: सीमा पर युद्ध
(गोलियों की आवाज़, धमाके। अर्जुन दुश्मनों से लड़ रहा है। एक गोली उसे लगती है। वह गिर जाता है। हाथ में माँ का पत्र है।)
अर्जुन (कमज़ोर स्वर में )
यह कश्मीर हमारा है… यह हिंदुस्तान हमारा है…
(मंच धीरे-धीरे अंधकार में डूब जाता है)
दृश्य 3-गाँव में शोक और जागरण
(कविता दीदी बच्चों को पढ़ा रही हैं। अचानक अर्जुन की शहादत की खबर आती है। सभी स्तब्ध। फिर कविता दीदी उठती हैं)
कविता दीदी (आंसुओं से भरी आंखों से) आज हम एक बेटे को खो बैठे… लेकिन उसकी शहादत को जाया नहीं जाने देंगे।
(वह कागज़ उठाती हैं और कविता लिखती हैं, बच्चों के साथ कोरस गाती हैं)
कोरस-
कफन ओढ़ कर कहते हम तो
यह कश्मीर हमारा है
यह हिंदुस्तान हमारा है।
राहुल (जोश में)
दीदी, मैं भी अब कलम से लड़ूंगा! मेरी कलम सिपाही बनेगी!
दृश्य 4- समापन मंच
(सभी पात्र मंच पर एक साथ आते हैं – माँ, कविता दीदी, बालक, कोरस)
घोषक- सैनिक सीमा की रक्षा करते हैं, और कलम विचारों की। जब दोनों एक हों – तब ही बनता है सच्चा भारत।
सभी एक साथ कहते हैं–
“जय हिंद! वंदे मातरम्!”
(पर्दा गिरता है)
— डॉ. निशा नंदिनी भारतीय