यमराज मेरा यार
अनूठा हास्य व्यंग्य काव्य संग्रह
सरल, सहज बहुमुखी प्रतिभा के धनी कवि साहित्यकार डॉ सुधीर श्रीवास्तव का हास्य व्यंग्य काव्य संग्रह ‘यमराज मेरा यार’ की समीक्षा करने का सौभाग्य मिला। संग्रह का शीर्षक ‘यमराज मेरा यार’ आकर्षित करने वाला है, खूबसूरत आवरण सज्जा वाले अपने पहले काव्य संग्रह को कवि ने अपने परमपूज्य गुरुदेव श्रद्धेय स्व. श्री सोमनाथ तिवारी जी को समर्पित किया है। इसके बाद संग्रह हेतु प्राप्त विभिन्न शुभकामनाओं में श्रेष्ठ साहित्यिक विभूतियों ने सुधीर श्रीवास्तव के व्यक्तित्व कृतित्व के साथ उनकी सृजनात्मक क्षमता का अपने मनोभावों के अनुसार वर्णन किया है। नवोदित कलमकारों ने उनके व्यक्तित्व और मार्गदर्शन क्षमता का जिक्र करते हुए अपनी स्नेहिल शुभकामनाओं से उनके व्यक्तित्व के आत्मीय और स्नेहिल भाव को स्वीकार्यता महसूस किया। संग्रह की रचनाओं की शुरुआत श्री गणेश से शुरू होकर यमराज का ऑफर पर समाप्त हुई है।”पूजन प्रथम गणेश का, शुरू करें शुभ काम। देव और फिर पूजिए ,सुखद मिले परिणाम।। इसके बाद भगवान चित्रगुप्त, जय सतगुरु देव और मां शारदे की वंदना की के बाद यमराज का ऑफर, यमलोक यात्रा पर जरूर आऊँगा, यमराज का हुड़दँग, यमराज की नसीहत आदि बहुत सुंदर कविताएं हैं। कवि की रचनाओं में यमराज के केंद्र में रखकर एक नया संदेश, विचार, चिंता और हँसाने गुदगुदाने के साथ चिंतन को विवश करने की अपनी क्षमता का खूबसूरत अंदाज देखने को मिलता है। कवि ने यमराज और अपने भावनात्मक परिदृश्यों को कुशलता से चित्रित किया है।यमराज की नसीहत कविता….अपनी तारीफ सुनकर यमराज दौड़ा-दौड़ा मेरे पास आया और तारीफों का दुखड़ा रोक कर सुनाने लगा प्रभु मेरी तारीफों पर रोक लगा दो बस इतना एहसान कर दो।रायते का चक्कर, यमराज मेरा यार, यमराज की हड़ताल, यमराज कांप उठा आदि रचनाएं कवि के संवेदनात्मक और आम जन के मनोभावों को दर्शाती हैं। संग्रह की रचनाएं एक से बढ़कर एक है, जिसे पढ़ते हुए पाठक एक और सही के साथ आगे बढ़कर पढ़ता जाता है।अभी अभी यमराज का नया ऑफर आयाऑफर सुन मेरा सिर चकरायायमराज पर खूब गुस्सा आया।संग्रह की कविताएं सरल, सहज तरीके पाठकों को आकर्षित करने में सक्षम है। रचनाओं के शीर्षक बहुत सुंदर मन मोहने वाले हैं। कविताओं में एक प्रवाह है। कम शब्दों में आपने सारगर्भित बात कही है। प्रस्तुत काव्य – संग्रह पाठकों की सुप्त चेतना को जाग्रत करने में सहायक सिद्ध होगा, इसमें संदेह का कोई कारण नहीं है।साथ ही नवयुग के निर्माण में नींव का पत्थर स्थापित होगा। मैं प्रस्तुत काव्य संग्रह की सफलता की कामना के साथ विपरीत परिस्थितियों में अपनी जिजीविषा के बल पर हँसते मुस्कुराते, मेल मिलाप और सर्व सुलभ सहयोगी भाव रखने वाले सुधीर श्रीवास्तव के दीर्घायु जीवन की कामना करती हूँ।
डॉ पूर्णिमा पाण्डेय ‘पूर्णा’प्रयागराज