कविता

जिद्दी

जिद्दी मानव ही अपने जीवन में
एक शानदार इतिहास लिखता है,
भेड़चाल भरी धरती में
वो सबसे अलग दिखता है,
हिटलर,मुसोलिनी,लेनिन,सिकंदर,
विश्व स्तर के जिद्दी लोग थे,
जबकि अपने देश में भी
बिखरे भारत को अखंड भारत
बनाने के लिए सम्राट अशोक ने
अपने जिद्द के दम पर ही
एकछत्र राज स्थापित किया
न मानिये ये केवल प्रयोग थे,
जिद्दी अच्छे लोग ही नहीं
बुरे लोग भी होते हैं,
भले सुनाम व यश कीर्ति तो
बुरे बदनामी,अपयश और
बुराई के प्रतीक बन भविष्य नाम ढोते हैं,
अंधविश्वास,पाखंड,हत्याओं से दुखी हो
गौतम से महामानव बुद्ध बन गया,
शांति और सच्चाई से सुख प्राप्ति का
मार्ग बताने वाला प्रबुद्ध बन गया,
समय समय पर संपूर्ण समाज को
झकझोर कर जगाने के लिए
कबीर,रैदास,गुरू नानक,गुरू घासीदास
जैसों का जिद्द ही तो था,
जो चाहते थे समतामूलक समाज नया,
बाबा भीमराव का था जिद्द कि
सबको समान अधिकार मिले,
असमानता का कोई दौर न चले,
जिद्दी इतिहास की किताब में समाता है,
भविष्य के रहबर बन राह दिखाता है।

— राजेन्द्र लाहिरी

राजेन्द्र लाहिरी

पामगढ़, जिला जांजगीर चाम्पा, छ. ग.495554