चले हराने
गरम हवा के चले तराने ,
सड़कों पे आए वीराने।
ए सी पंखा कूलर जी अब ,
गरमी जी को चले हराने।
शीतल जल मन को भाता है ,
जब आते लू लपट डराने।
लस्सी अमरस आइस गोले ,
आते हैं ठंडक बिखराने।
मोटू भागा कुल्लू शिमला ,
वहां गजब के थे नजराने।
— महेंद्र कुमार वर्मा