कविता

प्रभु की महिमा

पंच तत्व से बनी काया ,
बड़े भाग्य से मानव तन पाया,
प्रभु की कृपा से जीवन पाया
जीवन तो सुख दुख की छाया,

प्रभु अगम, अगोचर सबमें तू समाया,
तेरी माया कोई न जान पाया,
अनेक नामों से लोक में समाया,
समस्त लोक में प्रभु तेरी ही माया,

हर युग में अनेक नाम से रूप में आया,
संपूर्ण जगत में तेरे जैसा कृपालु न पाया,
दुष्ट,दानवों का संहार कर जगत को बचाया,
तेरी कृपा से मानव ने सब कुछ पाया.

— पूनम गुप्ता

पूनम गुप्ता

मेरी तीन कविताये बुक में प्रकाशित हो चुकी है भोपाल मध्यप्रदेश

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