गीत
एक सच्चा इन्सान बनाए पुस्तक घर।
बंदे को गुणवान बनाए पुस्तर घर।
इस में ही विज्ञान कुशलता शैली है।
अंतर दृष्टि की पुरूषार्थ थैली है।
सृजक प्रतिभावान बनाए पुस्तक घर।
एक सच्चा इन्सान बनाए पुस्तक घर।
यह शिष्य है सर्व गुरू अगुवाई है।
इस के भीतर तनहाई शहनाई है।
खोजक की पहचान बनाए पुस्तक घर।
एक सच्चा इन्सान बनाए पुस्तक घर।
एक बुलंदी में विलक्षण सुन्दरता।
बहु भाषा में दृष्टि बोध समर्पणता।
आन बनाए शान बनाए पुस्तक घर।
एक सच्चा इन्सान बनाए पुस्तक घर।
लाख कलाएं जागृति भर देती हैं।
बेरोज़गारी को बौद्धिक कर देती हैं।
निर्धन को धनवान बनाए पुस्तर घर।
एक सच्चा इन्सान बनाए पुस्तक घर।
शब्द गुरू वाली मर्यादा को पा कर।
इन्सानी मूल्यों वाली बाणी को गा कर।
राम रहीम कुरान बनाए पुस्तक घर।
एक सच्चा इन्सान बनाए पुस्तक घर।
कर्मठ की मण्ड़ी में हाथों की कीमत।
खून पसीने की आज़ादी नहीं सीमत।
मेहनत को भगवान बनाए पुस्तर घर।
एक सच्चा इन्सान बनाए पुस्तक घर।
इस की गोदी में शिक्षा आवास करे।
विश्व व्यापी राहों भीतर कदम धरे।
साहित्य को बलवान बनाए पुस्तर घर।
एक सच्चा इन्सान बनाए पुस्तक घर।
बहु भाषा का सभ्याचार सजा देवे।
मानवता का मन्दिर एक बना देवे।
यहां विश्व निशान बनाए पुस्तर घर।
एक सच्चा इन्सान बनाए पुस्तक घर।
इस के शब्दों वाली मंज़िल पाए जो।
बालम चांद पर अपने पैर टिकाए जो।
जब कर्मठ विद्वान बनाए पुस्तर घर।
एक सच्चा इन्सान बनाए पुस्तक घर।
— बलविंद्र बालम