कविता

पागल कौन?

मन लजा जाए
जब देखे कोई उनको
चौक में
एक किशोर
निर्वस्त्र
फेरी लगा रहा
लोगों को कानाफूसी करते सूना
पागल कह रहे थे
पर क्यूँ पता नही?
क्योंकि थोड़ी देर पहले
एक अधेड़ आया था
लम्बे केश,लम्बे श्मश्रु
प्रणाम करते देखा मैंने
बहुतों को
तो एहसास हुआ
कौन पागल है?
किशोर,अधेड़ या लोग ।।

— चन्द्रकांत खुंटे ‘क्रांति’

चन्द्रकांत खुंटे 'क्रांति'

जांजगीर-चाम्पा (छत्तीसगढ़)

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