तराना
गा रहे हैं हम, तराना प्यार का ।
भाई चारे और सुंदर व्यवहार का ।।
वे दिखाएं , हमें सिनेमा मारधाड़ की ।
कब तक सहे हम , उनके सितम की बाढ़ सी ।।
आतताई , जो आतंक का पर्याय हैं ।
उनकी चीखें नगमें सी लगती उन्हें,
जो हुए उनके आतंक का शिकार हैं ।
मिलकर अब ऐसा तराना छेड़ दो,
दहशतगर्दों, आतंक का दामन छोड़ दो ।
— बृज बाला दौलतानी