कविता

मीडिया ट्रायल हो रहा यह कैसा है अत्याचार

जहां भी देखो हर तरफ हो रहा है ब्यापार
खबरें कम पैसे का धंधा बन गया है हर अखबार
सकारात्मकता गुम है नकारात्मक खबरों की है भरमार
पहुंच जिसकी सत्ता तक बन गया है वह बड़ा कलमकार

दीवाली हो या हो नव वर्ष विज्ञापनों की है भरमार
नेता जी के जन्म दिन पर फोटो से भरा होता हर अखबार
सुबह से शाम तक वही दिखाया जाता है बार बार
मीडिया ट्रायल हो रहा यह कैसा है अत्याचार

लाखों करोड़ों कमा रहे जनता को मूर्ख बना रहे
ईमानदारी का ओढ़ें हैं लबादा अंदर खिचड़ी पका रहे
लोग भेज रहे हैं चुन कर किसी की सरकार बनाने को
वह दल बदल रहे हैं किसी और की सरकार बना रहे

शालीनता की हदें तोड़ कर मनमर्जी पर हैं उतर आते
हां में हां जो नहीं मिलाता उसको हैं धमकाते
बेच कर खा लिया ज़मीर सच कभी लिख नहीं सकते
अपने अंदर झांकते नहीं दूसरों की कमियां हैं गिनाते

लोकतंत्र का चौथा स्तंभ हैं कहलाते
सत्ता के आगे पीछे घूमते हैं बिल्कुल नहीं हैं शर्माते
विज्ञापन मिल गया तो जयजयकार हैं करते
सत्ता के गलियारों में बहुत देखते हैं इनको आते जाते

जो डरता है वह क्या सच्चाई लिख पायेगा
जो निडर बनकर लिखेगा वह दुश्मन बन जायेगा
जब भी सेवाभाव आएगा अखवार के मन में
तभी लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहलायेगा

— रवींद्र कुमार शर्मा

*रवींद्र कुमार शर्मा

घुमारवीं जिला बिलासपुर हि प्र

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