एहसासों से मोहब्बत की
जब कलम चलाई तब दर्द ही मेरा झलका है
लिखा जब हर दर्द, तभी तो हुआ मन हल्का है।।
न जाने क्यों बुरी यादें मेरी, मेरा पीछा ना छोड़े
कहती बुरी यादों से मैं, मैंने तुम्हें तो पीछे छोड़ा है।।
क्यों मेरे पीछे-पीछे हर कहीं चली तुम आती हो
चली जाओ बहुत दूर तुमसे मैंने हर नाता तोड़ा है।।
लिखते-लिखते दर्द अब कलम भी थकने लगी
मेरे आंसू, थकान को, मेरी कलम ने मरते देखा है।।
इस घनी रात के अंधेरे मे जाग रही हूॅं मैं तन्हा
अपनी तन्हाई, दर्द को किया अक्सर अनदेखा है
कभी लिपट खुद के एहसासों से मोहब्बत कर लेती
अपनी ही एहसास-ए मोहब्बत को वीणा ने समेटा है।।
— वीना आडवानी तन्वी