बागवान
आज निर्माता निर्देशक बी आर चोपड़ा जी का जन्मदिवस है. उन्होने गुमराह, कानून, हमराज, पति पत्नी और वो, निकाह और बागवान जैसी कई बेहतरीन फिल्में बनाई. छोटे पर्दे का प्रिय सीरियल महाभारत बनाया. मैं आज अपनी पोस्ट उनकी फिल्म बागवान पर लिख रहा हूं जो कि एक सामाजिक फिल्म थी.
बाग को जनम देने वाला बागवान
परिवार को जनम देने वाला पिता
दोनों ही अपने खून-पसीने से
अपने पौधों को सींचते हैं
ना सिर्फ अपने पेड़ से
उसके साये से भी प्यार करते हैं
क्योंकि उसे उम्मीद है एक रोज़
जब वो ज़िन्दगी से थक जायेगा
यही साया उसके काम आयेगा
फ़िल्म का सार था
राज मल्होत्रा (अमिताभ) और पूजा मल्होत्रा (हेमा मालिनी) पति-पत्नी के किरदार में हैं. उनके चार बेटे हैं. राज और पूजा अपने बच्चों से बहुत प्यार करते हैं , लेकिन जब बेटे बड़े हो जाते हैं और उनकी शादी के बाद वे नौकरी के लिये अलग-अलग शहरों में रहने लगते हैं. वे अपने मां बाप का बिल्कुल खयाल नहीं रखते हैं, यहां तक कि वे अपने मां और पिताजी को अलग-अलग कर देते हैं और उनका अपमान करते हैं इससे दानो बहुत ही दु:खी रहते हैं.
मल्होत्रा का एक दत्तक पुत्र आलोक (सलमान खान) है, आलोक एक अनाथ था और राज ने उसका पालन किया था और शिक्षा प्रदान की थी जिससे वह राज को अपना पिता मानता है.आलोक अब एक सफल व्यक्ति बन चुका होता है और बुढ़ापे में राज और पूजा की भरपूर मदद करता है. वह उनको खुश रखता है.
आज के इस दौर को देखते हुए चोपड़ा साहिब ने फिल्म बनाई थी और समाज में ऐसा देखने को भी मिल रहा है. जिन हाथों ने उंगलियां पकड़ कर बच्चों को चलना सिखाया इस आशय से की जब वो बुड्ढे हो जाएंगे तो बच्चों के हाथ उनका सहारा बनेगें पर जब निराशा मिले तो सोचिए उन माता पिता का, जो की खुशी के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा देते हैं , पर क्या गुजरती होगी.
अन्तिम लाइन लिखते लिखते मेरे जेहन में एक फूल दो माली का यह गाना उभर आया.
तुझे सूरज कहूँ या चंदा
तुझे दीप कहूँ या तारा
मेरा नाम करेगा रौशन
जग में मेरा राज दुलारा
मेरा घर था खाली खाली
छाई थी अजब उदासी
जीवन था सूना सूना
हर आस थी प्यासी प्यासी
तेरे आते ही खुशियों से
भर गया है जीवन सारा
मेरा नाम करेगा रौशन…
मैं कब से तरस रहा था
मेरे आँगन में कोई खेले
नन्ही सी हँसी के बदले
मेरी सारी दुनिया ले ले
तेरे संग झूल रहा है
मेरी बाहों में जग सारा
मेरा नाम करेगा रौशन …
आज उँगली थाम के तेरी
तुझे मैं चलना सिखलाऊँ
कल हाथ पकड़ना मेरा
जब मैं बूढ़ा हो जाऊँ
तू मिला तो मैंने पाया
जीने का नया सहारा
मेरा नाम करेगा रौशन…
मेरे बाद भी इस दुनिया में
ज़िंदा मेरा नाम रहेगा
जो भी तुझ को देखेगा
तुझे मेरा लाल कहेगा
तेरे रूप में मिल जायेगा
मुझको जीवन दोबारा
मेरा नाम करेगा रौशन…
— ब्रजेश गुप्ता