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यमराज मेरा यार (हास्य व्यंग्य काव्य संग्रह)

यमराज मेरा यार कृति एक हास्य काव्य संग्रह है जो कि डॉ.सुधीर श्रीवास्तव दादा जी द्वारा रचित है। लोकरंजन प्रकाशन प्रयागराज द्वारा प्रकाशित कृति के कृतिकार ने श्रद्धेय स्वर्गीय सोमनाथ तिवारी जी को यह कृति समर्पित की है। संग्रह में कुल 170 पृष्ठ हैं जिन पर कुल 48 रचनाएँ संग्रहित की गई हैं। आवरण पृष्ठ पर यमराज भैंसें पर सवार अंगारों पर चलते दिखाई दे रहे हैं,और अंतिम पिछले पृष्ठ पर आदरणीय सुधीर श्रीवास्तव दादा जी का संक्षिप्त जीवन परिचय दिया हुआ है‌। पुस्तक का मूल्य 240 रूपए है। शुभाशीष की कड़ी में डॉ. रत्नेश्वर सिंह, खालिद हुसैन सिद्दीकी, संतोष श्रीवास्तव ‘विद्यार्थी’ का आशीर्वचन, प्रेरक वक्ता तत्वदर्शी डॉ अर्चना श्रेया, डॉ. पूर्णिमा पांडेय, इंटरनेशनल वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर ममता श्रवण अग्रवाल, प्रेमलता रसबिंदु, आराधिका राष्ट्रीय मंच की संस्थापिका निधि बोथरा जैन जी, डॉ अणिमा श्रीवास्तव, आकाश श्रीवास्तव जी की शुभकामनाओं संग, पुस्तक की गहन समीक्षा अभिमत के रूप में प्रस्तुत की है संगीता चौबे पंखुड़ी ने। अपनी बात में दादा ने अपने जीवन के उतार-चढ़ावों का वर्णन करते हुए अभी तक जीवन के सफर को विस्तृत रूप में उकेरते हुए माता-पिता जीवन संगिनी बेटियों के संग उन सभी अग्रजों अनुजों को धन्यवाद ज्ञापित किया है जिन्होंने अभी तक उनका संबल बनाए रखा।यहाँ दो पंक्तियों में आप लिखते हैं ‘सिंधु ने जब भी खुशी के गीत गाए हृदय मुक्ता को तटों पर छोड़ आए।’

पृष्ठ संख्या 29 से 168 तक कुल 48 रचनाएँ हैं।जिनका प्रारंभ श्री गणेश वंदना दोहों से किया है, भगवान श्री चित्रगुप्त जी, जय सत गुरुदेव के श्री चरणों में दोहों की पुष्पांजलि माँ के चरणों में ‘हे माँ नमन मेरा स्वीकार करो।’
तत्पश्चात यमराज का आफर,यमलोक यात्रा पर जरूर जाऊंगा, यमराज का हुड़दंग, यमराज की नसीहत हास्य व्यंग्य, यमराज का यक्ष प्रश्न में प्रभु श्री राम अयोध्या धाम के बारे में, यमराज का श्राप तत्पश्चात यमराज मेरा यार, यमराज साहित्यिक मंच और यमराज की शुभकामनाएं जिन्हें दादा ने 01 जुलाई अपने जन्म दिवस पर प्रेषित किया है।
एक के बाद एक व्यंग्यात्मक शैली में रचनाएं हर्ष, विषाद, हास्य का अनूठा सम्मिश्रण लिए हुए स्वयं प्रश्न उत्तर कर रही हैं।यमराज का निमंत्रण , लिखित फ़रमान, यमराज की स्वप्निल होली में यमराज की धरती पर होली खेलने की ललक दिखाई दी है। यमराज का एकांतवास, यमराज का दर्द, यमराज की प्रसन्नता, यमराज का श्रद्धांजलि समारोह, यमराज का डर, मैं यमराज का गुरु हो गया जैसी ज्यादातर रचनाएँ चार से पाँच पृष्ठों में संकलित हैं।मोदीराज हो रचना में राजनीति पर करारा व्यंग्य एवं मन की इच्छाओं को पूर्ण करने की कामना की गई है।
खुराफात, मौत और कवि की खिचड़ी,जुगाड़, समय की चाल, गठबंधन की अंतिम शर्त‌, रावण का आग्रह , यमराज की नजर में रावण के द्वारा सीता हरण पर चर्चा रखी गई है। यमराज और रावण दहन रचना में रावण दहन के अर्थ को गूढ़तम तरीके से समझाया गया है।
कुछ और रचनाएं जैसे प्राण प्रतिष्ठा और दुष्ट आत्माएं, यमराज का निर्जल उपवास और अंतिम रचना यमराज का आफर जिसमें कृतिकार यह आफर लेने के लिए स्वयं को पहला और आखिरी इंसान बता रहे हैं।
हास्य व्यंग्य लिखना हर किसी के बस की बात नहीं है। एक बहुत सुंदर अनुपम हास्य व्यंग्य आधारित संकलन हेतु असीम शुभकामनाएं, आपका यह संकलन समस्त पाठकों को आह्लादित कर रहा है और आगे भी करेगा इसमें कोई दो राय नहीं है।
अंत में बस यही कहना चाहूंगी आ.सुधीर श्रीवास्तव दादा एक बहुत सशक्त लेखनी के धनी हैं।आप की यह साहित्यिक यात्रा आजीवन निर्विघ्न चलती रहे‌ ईश्वर से यही कामना करती हूँ।
अमिता गुप्ता “नव्या”
कानपुर,उत्तर प्रदेश

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921

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