कविता

दु:ख के बादल

दु:ख से घिरे हुए बादल ,
रुक रुक कर बरस रहे हैं।

कोना कोना भीग रहा ,
एक एक करके अपने ,
हमसे बिछड़ रहे हैं।

धैर्य हमारा टूट रहा ,
अपनों से नाता छूट रहा।

किस्मत की मारी ,
हाय! बनी बेचारी !
कलेजा फट रहा है,
दिल तड़प रहा है।

गर्जना हो रही है,
एक के ऊपर एक
बिजली गिर रही है ,
कैसे सँभालें चेतना !
अँखियों से आँसू बह रहे हैं।

मानवता दहलीज पे
साँसें तोड़ रही है,
विकल्प है तो बतलाओ !
कोई है ! तो समझाओ ,

भरोसा उठ गया है,
तड़प तड़प के ,
आँचल सिमट रहा है।

— चेतना सिंह

चेतना सिंह 'चितेरी'

मोबाइल नंबर _ 8005313636 पता_ A—2—130, बद्री हाउसिंग स्कीम न्यू मेंहदौरी कॉलोनी तेलियरगंज, प्रयागराज पिन कोड —211004

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