दोहे
फूलों से बगिया सजे और वृक्ष से बाग |
झुलसायेगी पेड़ बिन, यह गर्मी की आग ||
रोजगार की बात पर, चुप क्यों है सरकार,
कहे सिलेंडर कम करो, महंगाई की मार ||
आम आदमी की व्यथा, समझो करो विचार |
जेब पिता की रिक्त है, क्या खाए परिवार ||
फिल्मकार कुछ दान दें, कम हो निर्धन छोभ |
नकली हीरो है सभी, सबको धन का लोभ ||
व्याकुल भूखे लोग ये,हैं शरीर कंकाल |
अंतड़िया सूखी पड़ी, नहीं जिस्म पर खाल ||
धैर्य टूटता जा रहा,मुश्किल में सन्तान |
खतरा नस्लों पर बढ़ा,और हिन्दु अन्जान ||
पाक बांग्ला देश की, बंद करो घुसपैठ |
पाक कर रहा साजिशे, मेरे घर में बैठ ||
— शालिनी शर्मा