लघुकथा

लघुकथा – फोटो

       दादी कुछ पुरानी फोटो देख रहीं थीं और पोते को बता रही थीं-“देख गुड्डू, ये मैंने और तेरे दादा जी ने मेले में खिंचाई थी।तब केवल शहरों में ही दो चार फोटो स्टूडियो हुआ करते थे।गांव में मेला में लोग फोटो खिंचवाते थे पर अब देखो जमाना देखते-देखते ही कितना बदल गया। आज छोटे-बड़े सबके हाथों कैमरा आ गया। लोग रील बनाकर बनाकर उसके दीवाने हो गए हैं।खाते-पीते उठते-बैठते लोग बस रील बनाकर लोगों को दिखा रहे हैं।”

     पोते ने कहा-“जानती हो दादी लोग फेसबुक ,इंस्टाग्राम में अपना लाइफ स्टाइल दिखाकर खूब पैसे भी कमा रहे हैं।कई अपराध भी इसी से हो रहे हैं।फ़ोटो रील बनाकर लोग कइयों को ब्लैकमेल भी कर रहे हैं।”

      “हां बेटा, हमारा जमाना ही अच्छा था ।तब शांति तो थी ।आज मोबाइल ने लोगों का जीना हराम कर रखा है।लोग दोस्ती के नाम पर एक दूजे को लूट भी रहे हैं।अब तो पड़ोसी भी अपने पड़ोसी से परिचित नहीं है।ऐसा बेगानापन इसी मोबाइल से उपज रहा है।मैं तो कहती हूँ कि ये हमारा विकास नहीं बल्कि विनाश है।” दादी ने उग्र स्वर से कहा।

    ” हां दादी,पर अब ये लोगों की खास जरूरत है।जानती हो दादी मेरे एक दोस्त के मम्मी -पापा का तलाक इसी मोबाइल में रील और फोटो बनाने के कारण हो गया।बेचारा मेरा दोस्त बहुत दुःखी है।”

     हां बेटा, हम लोग पहले चौके में बैठकर खाना खाते थे ताकि किसी के सामना न हो।हम अपना खाना किसी को दिखाकर नहीं खाना खाते थे कि कोई किस नजर से हमारे खाने को देखेगा पर आज लोग रोज अपना खाना रील में दिखाकर-दिखाकर खाते हैं । यह भी ठीक नहीं है।लोग अपना वैभव का प्रदर्शन भी मोबाइल में कर रहे हैं।इसी से चोरी,बलात्कार जैसे घटनाएं और भी तेजी से बढ़ रही है। गुड्डू तुम मोबाइल का उपयोग जरूरत होने पर करना ।न फालतू के रील बनाना न देखना।यह समय बर्बाद करता है। हासिल कुछ नहीं होता है पर लोगों को कौन समझाए।देखो पचास साल पुराने फोटो में कितनी यादें मेरी जुड़ी हैं पर ये मोबाइल पचास साल तक तुम्हारी फोटो सेव रख सकेगा?”

        दादी का यह प्रश्न गुड्डू को चिंता में डाल दिया।

— डॉ. शैल चन्द्रा

*डॉ. शैल चन्द्रा

सम्प्रति प्राचार्य, शासकीय उच्च माध्यमिक शाला, टांगापानी, तहसील-नगरी, छत्तीसगढ़ रावण भाठा, नगरी जिला- धमतरी छत्तीसगढ़ मो नम्बर-9977834645 email- [email protected]

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