कुण्डली
पानी-पानी पाक है,बिनु पानी की प्यास
पानी रोके तो मरे,छोड़े सत्यानाश
छोड़े सत्यानाश,नदी का उतरा पानी
है यदि पानीदार, भला क्यों सूखा पानी
कह सुरेश कविराय उतारेंगे हम पानी
बिना युद्ध के ही ससुरा है पानी-पानी
फटी पड़ी है विश्व की, भारत रहा तरेर
एक बाझ के सामने, अबकी फॅंसा बटेर
अबकी फॅंसा बटेर, समझ में कुछ ना आए
नीर के लिए अब मुनीर जग में चिंचियाए
कह सुरेश कविराय पाक की प्रजा बंटी है
अजहर और सईद सभी की फटी पड़ी है
— सुरेश मिश्र