मुक्तक
1
पाकिस्तानी सेना का अब,कण- कण चकनाचूर किया
पहलगाम की कायरता का ,बदला भी भरपूर लिया
सभी ठिकाने ध्वस्त किये हैं ,मार गिराये आतंकी
नाम इसे भारत सेना ने , ‘ऑपरेशन सिंदूर’ दिया
2
मिटे हैं देश पर जो वीर उन पर गान लिख देंगे
क्षितिज तक उन शहीदों के सभी अरमान लिख देंगे
न सुधरा पाक यदि अब भी जो करता पीठ पर हमला
तो छाती फाड़ उसकी उसपे हिन्दुतान लिख देंगे
3
मुझे काँटों पे नंगे पाँव चलना आ गया है अब
मुझे दुश्मन को मुट्ठी से मसलना आ गया है अब
हवा से कह दिया मैंने रहे औकात में अपनी
मुझे तूफ़ान का भी रुख बदलना आ गया है अब
4
रहूँ तन्हाँ सफर में तो ये मेरा मन नहीं लगता
करे जो बात मतलब की तो अपना पन नहीं लगता
भले ही लाख पैसा तुम कमा लो अपने’ जीवन में
किसी से प्यार से बोलो तो’ कोई धन नहीं लगता
5
हिफ़ाजत देश की करते रहे हम आखरी दम तक
वहां लड़ते रहे थे मौत से हम आखरी दम तक
तुम्हें सौंपी है’ सत्ता तुम करो जाति की जनगणना
वहाँ सर काट लें बेशक भिड़े हम आखरी दम तक
6
जी हजूरी से मेरा तो दूर तक नाता नहीं
इसलिए यारों किसी को मैं कभी भाता नहीं
सचको सच ओ झूठ को ही झूठ मैने है कहा
दुम पकड़ के मैं चलूं तो ये मुझे आता नहीं
7
खुल गई ये बंद किस्मत और अब क्या चाहिए
मिट गई हर दिल से नफरत और अब क्या चाहिए
आज निकले घर से’ जब हम माँ की’ सूरत देख कर
मिल गई महफ़िल में शुहरत और अब क्या चाहिए
— संजय कुमार गिरि