गीतिका/ग़ज़ल

राष्ट्र प्रथम

सदा जीत का दम रखते हैं।
मन में राष्ट्र प्रथम रखते हैं।

सभी समस्याएँ निपटालें
अपने को सक्षम रखते हैं।

शासन – सत्ता सुख पाकर भी
भाव उच्च – उत्तम रखते हैं।

घातक है ईर्ष्यालु पड़ोसी
बोलचाल कुछ कम रखते हैं।

राजा बनें दशानन जैसा
व्यर्थ न मिथ्या भ्रम रखते हैं।

आतंकी असुरों की क्षय हित
खड्ग, चक्र, अणुबम रखते हैं।

भारतमाता के सपूत हम
ऋषियों -सा संयम रखते हैं।

— गौरीशंकर वैश्य विनम्र

गौरीशंकर वैश्य विनम्र

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