मॉं के जैसा प्यार
मॉं से ही है खुशियां जीवंत सारी,
बनता खूबसूरत रंगीन हर त्योहार,
उसकी अद्भुत अनोखी कलाकारी,
गढ़ती नव जीवन में शुभ संस्कार ।
अनंत खुशियों की चाबी है वो प्यारी,
परिवार का अनुपम सुंदरतम श्रृंगार,
सूनी हो जाती एकाएक दुनिया हमारी,
जब मॉं पड़ जाती कभी थोड़ी बीमार ।
निभाती दिन रात निरंतर हर जिम्मेदारी,
नहीं कर पाती मगर खुद से वो प्यार,
गलतियां माफ़ कर देती हमारी सारी,
माथा चूम गले लगाती प्यार से हर बार ।
महिमा उसकी तीनों लोकों में न्यारी,
वंदन गाता “आनंद” से सारा संसार,
मॉं की दुआएं सदा ही मंगलकारी,
देती सपनों को हक़ीक़त का आकार ।
मॉं, माता, ममतामई, जननी, महतारी,
करती प्राणों का जीवन में नित संचार,
संजाती, संवारती, सहलाती है फुलवारी,
कोई कहां कर सकता मॉं के जैसा प्यार ।
मॉं का आशीर्वाद सदा ही चमत्कारी,
भूल से भी न करना मॉं का तिरस्कार,
चूका न पाओगे मातृऋण बहुत भारी,
हरे नोटों की गड्डियॉं चाहे हो भरमार ।
— मोनिका डागा “आनंद”