कविता

कहा था न…

कहा था न…

हम किसी को छेड़ते नहीं,

किसी ने छेड़ा तो छोड़ते नहीं,

शूर, वीर जांबाज सैनिक,

अत्याधुनिक हथियार हैं,

शौर्य, साहस, हौसले से 

आगे बढ़ रही सेना हमारी।

माना, अहिंसावादी हैं हम,

पर कायर नहीं हैं।

जवाबी कार्रवाई करने में,

हिचकिचाते नहीं हैं।

चुकता नहीं कोई निशाना,

हवा में ही कर देते चकनाचूर,

आग का धधकता गोला हैं 

राष्ट्र प्रेम का जुनून।

रहना संभलकर, थोडा दूर,

या हो जाओगे बेचिराख।

कहा था न..

अपनी हद में रहो,

अपनी परिधि में रहो,

भारत माता की ओर,

टेढ़ी आँख से देखने का दु:साहस न करो।

‘सिंदूर’ केवल दिखावटी प्रतीक नहीं,

हमारा संस्कार, हमारा प्यार हैं,

जिसे ललकारने का 

गुनाह किया हैं तो,

सजा मिलेगी ही।

भुगतो या शरण में आओ।

अपनी नापाक हरकतों से बाज आओ।

सब कुछ लूट जाने के बाद,

रिरियाना नहीं,

कहा था न…

मेरा भारत महान है,

सजग, सक्षम, सशक्त हैं।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८

Leave a Reply