यमराज और मुल्ला मुनीर
अभी – अभी मुल्ला मुनीर की
यमराज से मुलाकात हो गई,
बिना किसी बात के तकरार हो गई।
यमराज व्यंग्य से बोला – मुल्ला जी
मैं तुम्हें समझाने आया हूँ
तुम्हारी औकात बताने आया हूँ,
जिन हूरों से मिलने की तुझे बड़ी जल्दी है,
उन्होंने तुझे ब्लैक लिस्ट में डालकर
द्वार पर अलीगढ़िया ताला लगा दिया है।
अब तू मरकर भी क्या करेगा?
समय आ गया है कि इस पर भी तू अब विचार कर
धरती पर भारत तुझे कुत्ते की तरह दौड़ाएगा
वहाँ हूर परियों के दर से भी तू दुत्कारा जायेगा,
धर्म के नाम पर अब तू चाहे जितना आतंकवाद फैलाएगा
सच मान! तेरे किसी भी काम नहीं आयेगा।
मुल्ला मुनीर हड़बड़ाया,
यमराज के पैर पकड़कर गिड़गिड़ाया,
प्रभु! अब आप ही कुछ कर सकते हैं
हूर परियाँ मिलें न मिलें
मोदी से सिर्फ आप ही बचा सकते हैं।
यमराज मुस्कराया, यह देख उनका भैंसा गुर्राया
मेरा मालिक भी तेरा कुछ नहीं कर पायेगा
और मैं भी तुझे लादकर नहीं ले जाऊँगा,
फिर भला तू जहन्नुम कैसे जायेगा?
वैसे भी तुझ जैसे जलील के लिए
जहन्नुम में तन्हाई बैरक के निर्माण का खर्च
क्या तेरा मरहूम बाप उठायेगा?
यमराज भैंसें का रोष देख मौन रह गया
उनके पास बोलने के लिए अब बचा ही क्या?
उनके वाहन भैंसें ने सब कुछ साफ शब्दों में कह दिया,
यमराज चुपचाप भैंसे पर बैठ वापस चल दिये।
मुल्ला मुनीर उनके पीछे-पीछे दौड़ने लगा
बेचारा अपने जन्म को कोस रहा था,
जिसे ढाँढस बँधाने वाला भी अब कोई नहीं था
यह और बात है कि उसके सिर के ठीक ऊपर
गिद्धों का बड़ा झुँड मँडरा रहा था।