कविता

गुड़िया रानी

गुड़िया रानी गुड़िया रानी
मेरी प्यारी गुड़िया रानी
भोली भाली कितनी सुंदर
लगती हो तुम प्यारी प्यारी
नन्हे नन्हे पैर है तेरे
काले बाल लगते घुंघराले
आंखे तेरी छैल छबीली
सबके मन को मोहने वाले
कपड़े तेरे रंग बिरंगे
चमकीली सितारे वाली
ठुमक ठुमक कर चलती ऐसे
कठपुतली की चाल जैसे
सारे घर को मोह लेती
तू है तो सब घर उजाले।
— विजया लक्ष्मी

*विजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी (स्नातकोत्तर छात्रा) पता -चेनारी रोहतास सासाराम बिहार।

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