कविता
जलने वाले यूं ही जलकर
खाक हो जायेंगे
बढ़ने वाले आगे बढ़कर
आसमां को छु जायेंगे
इनकी देखो उनकी देखो
गुनते रहो कहानी
करने वाले कर दिखाकर
नाम खूब कमाएंगे
सोते निंदा जागते निंदा
निंदा ही बस करते हो
निंदा जिसकी हो रही है
जग में आगे बढ़ता है
मन भी मैला तन भी मैला
मैला दिखे सब संसार
जरा होश में आओ नही तो
बैठ खूब पछताओगे
दुनिया बड़ी निराली यारों
बात समझ में आए तब
तेरी मेरी करते करते
सारी उम्र बितादी सब
फिर भी समझ नहीं आता तो
चकनाचूर हो जाओगे
चकनाचूर हो जाओगे।
— विजया लक्ष्मी