कविता

कविता

जब किताबों से दोस्ती की ,तो नींद ने दूर किया।
जब किसी इंसान से दोस्ती की
,तो इंसान ने भी इंसानियत कहा दिखाई ।
जब रातों से दोस्ती की ,तो दिन रात बन गए ।
जब फूलों से दोस्ती की ,तो फूल मुरझा गए।
जब यादों से दोस्ती की, तो वो आंसू दे गए।
जब सपनों से दोस्ती की, तो रास्ते ही मिट गए।
जब चारों तरफ देखा तो कोई दिखा नहीं ,
फिर हम उदास होकर सो गए ।
— गंगा मांझी

गंगा मांझी

ग्वालियर, मध्य प्रदेश

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