दोहा गीतिका
नर-नारी वे धन्य हैं, जिएं सहित अनुराग।
आन मान सम्मान का,जागे नवल सुहाग।।
जीवन वह जीवन नहीं,बजे फटा ज्यों ढोल,
काँव-काँव करता रहे, भरे काँव से बाग।
मिले पड़ौसी ठीक तो,सोए चादर तान,
बुरा पड़ौसी यदि मिले,रहे लगाता आग।
झूठे धोखेबाज की, संगति है दुर्भाग्य,
भोला बने कपोत-सा, करनी में हैं दाग ।
भारत – पाकिस्तान का, होगा कभी न मेल,
धोखे में रहना नहीं, रहो सदा ही जाग।
उचित रहा प्रतिशोध ये, शल्यकर्म सिंदूर,
धुआँ-धुँआ अब पाक है,फुफकारा जो नाग।
युगल व्योमिका सोफिया,करती रहीं कमाल,
‘शुभम्’ विश्व में देश ने, हनन किया दुर छाग।
— डॉ. भगवत स्वरूप ‘शुभम्’