दोहे
कैसे कैसे लोग हैं,कैसी इनकी सोच |
देश अहित मत बोलिए,करिये कुछ संकोच ||
भीतर जो गद्दार हैं,जो करते बकवास |
समझो रण की नीतियां,होती हैं कुछ खास ||
आजादी अभिव्यक्ति की,है मौलिक अधिकार |
देश विरोधी बोल पर,तय करते गद्दार ||
कहीं भी कुछ न बोलिए, करिये प्रथम विचार |
भारत हित का ध्यान तो ,रखती है सरकार ||
मोदी जी ने देश का,ऊँचा किया है भाल |
उनके शासन को कहो,सबसे स्वर्णिम काल |
जंग अगर न रोकते,क्या होता अन्जाम |
परमाणु हथियार से,होता युद्ध विराम ||
आतंकी करतूत का,देकर उसे जवाब |
समझाया मत देखना,हमसे रण का ख्वाब ||
— शालिनी शर्मा