दिल सुन ले स्पंदन
आज फिर तड़प उठा तेरे लिए मन,
धड़क रहा मेरा दिल सुन ले स्पंदन।
मैं अमरबेल बन लिपट जाऊ तुमसे,
सुध-बुध भूल रहीं होश हुए गुम से।
अनजाने में तुमसे जोड़ लिया बंधन,
मैं समझ गईं आखिर तुम मेरे नंदन।
आज फिर तड़प उठा तेरे लिए मन,
धड़क रहा मेरा दिल सुन ले स्पंदन।
अब तो मेरी एक यहीं हैं अभिलाषा,
ये प्यार स्वीकार कर जगाओ आशा।
मैंने माना मुझसे बहुत ही दूर हो तुम,
अब मुझपे सम्मोहन कर हो गए गुम।
— संजय एम तराणेकर