फोकस का फरेब
सारी दुनिया को धुंधला करके,
जिसे तुम फोकस करोगे,
वो एक दिन तुम्हारे ही लम्हों को,
अलग फ्रेम में कैद कर देगा।
जो आज नज़रों का मरकज़ है,
कल उसी की नज़रों में हाशिए पर होगे,
जिसे पूरा कैनवास देकर इतराए थे,
वही तुम्हें एक कोने में टांग देगा।
तस्वीरें भी वफादार नहीं होतीं,
हर पिक्सल में बदलती हैं,
कभी हंसी की झलक, कभी आंसू की फुहार,
तो कभी खामोशियों का शोर बन जाती हैं।
इसीलिए संभलना, फोकस की दुनिया में,
जहां हर क्लोज़-अप के पीछे,
एक छिपा हुआ बैकग्राउंड होता है,
जो कभी न कभी सब उजागर कर देता है।
— डॉ. सत्यवान सौरभ