सोशल मीडिया का परदा
हर दर्द, हर जश्न, हर आह, हर फिक्र,
अब पोस्ट की शक्ल में, दुनिया को नज़र आता है।
जो दिल की बात थी, अब स्टेटस बन गई,
जो आंसू का कतरा था, अब ‘लाइव’ चलाता है।
ख़ुद को प्राइवेट कहने वाले,
फोटो में चेहरा, कैप्शन में दिल रख आए,
लीवर, किडनी, फेफड़े बचा कर क्या करेंगे,
जब अपने ज़ख्म भी पोस्ट पर सजा कर आए।
दोस्तों की महफ़िलें, अब कॉमेंट की कतारों में,
रिश्ते के राज़, अब ‘टैग’ की दीवारों में।
मोहब्बतें भी ‘डीपी’ से जाहिर हैं,
नफ़रतें ‘रिप्लाई’ में वाहिर हैं।
शायद आने वाले कल में,
बस यही बचेंगी निजी बातें,
लीवर, किडनी, फेफड़े,
बाकी तो सब ‘स्टोरी’ की मेहरबानी में हैं।
— डॉ सत्यवान सौरभ