आपरेशन सिंदूर
बिना युद्ध के देश ने, मार लिया मैदान।
दुश्मन की तो छोड़िए, दुनिया है हैरान।।
पता हमें भी तब चला, आँख खुली जब भोर।
दुनिया सारी कह रही, जय हो हिंदुस्तान।।
आभा में सिंदूर के, चुँधियाया है पाक।
घुटनों पर वो आ गया, है सिंदूरी धाक।।
अब तो सारा खेल ही, बिगड़ गया वो मित्र।
भारत वासी लें मजे, हुआ पाक बहू चाक।।
गीदड़ भभकी का उसे, ऐसा मिला जवाब।
सोचा जिसका ना कभी, सपने में भी ख्वाब।।
आज समझ आया उसे, हिंदुस्तानी दाँव।
जब गाँधी के देश ने, झाड़ा खूब रुवाब।।
गोली अब जो एक भी, आयी सीमा पार।
गोला लेकर जायेंगे, आतंकी के द्वार।।
बदला भारत आज का, जान लीजिए मित्र।
रहते अब तैयार हम, जाने सब संसार।।
मोदी जी ने कह दिया, नहीं चाहते युद्ध।
इसका मतलब ये नहीं, बनें रहेंगे बुद्ध।।
शांति अहिंसा का नहीं, भूले हम सिद्धांत।
रखते सारे दाँव को, त्याग भाव अति क्रुद्ध।।
आतंकी बेचैन हैं, समझ न आए नीति।
रास उसे आई नहीं, आतंकिस्तानी रीति।।
बिल में सोये थे सभी, लंबी चादर तान।
सहन नहीं वे कर सके जड़ पर जब किया, अपना सही प्रहार।
पता नहीं था थोक में, मिलता है उपहार।।
जिनको सोचा था नहीं, उनको टीसे घाव।
बेचारे अब क्या करें, लुटा शत्रु दरबार।।