बिनाका गीतमाला
बिनाका गीतमाला,”जी हां भाइयों और बहनों, मैं हूं आपका दोस्त अमीन सयानी।”
बिनाका गीतमाला भारतीय रेडियो इतिहास का सबसे लोकप्रिय फिल्मी गीतों का काउंटडाउन शो था, जिसकी शुरुआत 3 दिसंबर 1952 को हुई थी। हर बुधवार रात 8 से 9 बजे तक देशभर के लोग रेडियो के पास बैठ जाते थे, और अमीन सयानी की जादुई आवाज़ में नए-पुराने हिट गानों की रैंकिंग सुनते थे।
अमीन सयानी की आवाज़ और अंदाज़।
“जी हां भाइयों और बहनों, मैं हूं आपका दोस्त अमीन सयानी…” – ये परिचय सुनते ही हर किसी के मन में पुरानी यादें ताजा हो जाती हैं।
सयानी की खास शैली, सरल भाषा, और दोस्ताना अंदाज ने उन्हें हर घर का सदस्य बना दिया था।
उन्होंने “पायदान” जैसे नए शब्दों का इस्तेमाल किया, जिससे गानों की रैंकिंग को रोचक बना दिया।
उनकी आवाज़ में एक अपनापन था, जिससे श्रोता खुद को उनसे जुड़ा महसूस करते थे।
शो की लोकप्रियता और प्रभाव:श,
शुरुआती दिनों में शो में सिर्फ 7 गाने बजते थे, बाद में यह बढ़कर 16 हो गए।
1950-60 के दशक में जब मनोरंजन के साधन सीमित थे, बिनाका गीतमाला हर वर्ग के लोगों के लिए संगीत का सबसे बड़ा जरिया बन गया।
शो की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अमीन सयानी के ऑफिस में हर हफ्ते हजारों चिट्ठियां आती थीं।
जब बिनाका गीतमाला शुरू होता, तो पूरा देश जैसे थम सा जाता था – गाँव, शहर, हर जगह लोग रेडियो सुनने बैठ जाते थे।
यादगार पल।
अमीन सयानी की आवाज़ में गानों के साथ उनकी कमेंट्री, किस्से, और गीतों की रैंकिंग आज भी श्रोताओं के दिलों में बसी हुई है।
बिनाका गीतमाला ने न सिर्फ फिल्मी संगीत को लोकप्रिय बनाया, बल्कि रेडियो को भी एक नई पहचान दी।
हर बुधवार को बिनका गीत माला रेडियो पर आता तो पूरा भारत एक साथ ठहर जाता।
बिनाका गीतमाला और अमीन सयानी की आवाज़ भारतीय सांस्कृतिक विरासत का अनमोल हिस्सा हैं, जिनकी यादें आज भी लोगों के दिलों में ताजा हैं।
— डॉ. मुश्ताक अहमद शाह