ग़ज़ल
आ इधर आ मुझे थोड़ा और निख़ार दे,
किसी ने भी किसी से किया न हो इतना प्यार दे।
आ भर दे खुशियों से मेरा दामन,
जलने लगे मुझसे आईना मुझे ऐसे संवार दे।
झुमके, पायल, चूड़ियां, बिंदिया,
ये सब नहीं चाहिए मुझे कोई और उपहार दे।
ये रंग, ये फूल, ये खुशबू हर तरफ़,
पतझड़ मे भी पतझड़ न हो मुझे ऐसी बहार दे।
ये चाॅद तारे आसमां सब है मेरे लिए,
ये दिल ये जान सनम मुझपर ये सब वार दे।
डरता है दिल कि तुझे लग न जाए नज़र कहीं,
आंखों में काजल लगाकर मेरी नज़र उतार दे।
— हेमंत सिंह कुशवाह