गीत/नवगीत

संघर्ष से अब थक गया हूँ

लगता है अब चुक गया हूँ।

संघर्ष से अब थक गया हूँ।।

क्रोध अब आता नहीं है।

गान कोई भाता नहीं है।

प्रेम में गर्मी नहीं अब,

उपहार कोई लाता नहीं है।

सोचने अब लग गया हूँ।

संघर्ष से अब थक गया हूँ।।

नवीन पथ अब है न रुचता।

अपने लिए कोई न सजता।

कविता अब है नाराज लगती?

लेखनी को भी गद्य फबता।

मौन रहने लग गया हूँ।

संघर्ष से अब थक गया हूँ।।

असहजता भी सहज है अब।

कृत्रिमता भी भाने लगी अब।

प्रेम की आशा न बाकी,

मजबूरी भी गाती लगे अब।

अकेला रहने लग गया हूँ।

संघर्ष से अब थक गया हूँ।।

भीड़ में मैं चल न सकता।

अपनों से अब लड़ न सकता।

शांति का बन रहा पुजारी,

क्रांति मैं अब कर न सकता।

कपट से काटा गया हूँ।

संघर्ष से अब थक गया हूँ।।

तुम हो अब भी उड़ती तितली।

आने लगीं हों भले ही मितली।

चंचलता को अब तो थामो,

चाउमीन तज खाओ इडली।

रिश्तों से लूटा गया हूँ।

संघर्ष से अब थक गया हूँ।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)

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