युवा जोश
कूट कूट कर भरा हुआ अपने अंदर जोश है,
बहकते नहीं बातों में हम भी रखते होश हैं,
सारी ललक सीखने की अभी भी भरी हुई,
भावना अपने अंदर, न संवेदनाएं मरी हुई,
डर उनका भगाना है जो यहां पर डरी हुई,
निकलेगी सारी कला अंदर उसके भरी हुई,
न रुकेंगे,न झुकेंगे, अत्याचार न सहेंगे हम,
मिटना पड़े वतन पर तनिक नहीं होगा गम,
न आएंगे झांसे में व नहीं पालेंगे कोई भ्रम,
हरषेन्गे,बरसेंगे जैसे बरसते मेघा झमाझम,
मिथ्याओं को छोड़ेंगे,दिल से दिल जोड़ेंगे,
प्रगति की ओर रूख देश का हम मोड़ेंगे,
मिटायेंगे देशद्रोही को कभी नहीं छोड़ेंगे,
अंधश्रद्धा,झूठ व पाखंड की कमर तोड़ेंगे,
विज्ञान का जमाना है विज्ञान ही सिखाना है,
खोजेंगे रहस्य छुपा आकाश खजाना है,
नहीं हम जमाने से हमसे ये जमाना है
झुकेगी दुनिया जल्द अब इसे झुकाना है।
— राजेन्द्र लाहिरी