कार्टून बेटियां समाचार सम्पादक 07/06/2014 रुत आती थी सावन की ओर पड़ते थे पेड़ों पर झूले, अब बे-मौसम में बेटियाँ हमारी झूलती हें पेड़ों पर.
कटु सत्य ! सामयिक !!!!
यह दुख्दाएक विअंग है , बेटीओं पर जो जुलम हो रहे हैं सुन सुन कर दुःख होता है .