2 thoughts on “बेटियां

  • मंजु मिश्रा

    कटु सत्य ! सामयिक !!!!

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    यह दुख्दाएक विअंग है , बेटीओं पर जो जुलम हो रहे हैं सुन सुन कर दुःख होता है .

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