वह कविता ..
एक शब्द या एक किताब को पढ़कर …
किसी पेड़ से उतरती गिलहरियों को देख कर ….
या भिखारी के कटोरे से मांग कर .
.किसी भी तरह से खोजकर ..
एक कविता की नकल करनी है मुझे ..
जिस पेड़ की पत्तियों पर कविताये छपी हुई हैं ..
वह एक पेड़ सदियों से ठहरा हुआ है कही पर ..
इस पेड़ को तलाशु..या मन से लिख लूँ
एक झूठमुठ की कविता ..
कविता लिखने से
ज्यादा जरूरी है उसे खोजना .
तुम्हारी जेब में रुपयों की जगह ..
कविता हो तो दे दो …
कविता ही चाहिए मुझे रुपया नहीं ……
कविता से मै खरीदूंगा . एक रास्ता ..
जो उस पेड़ तक जाता हो
जिसकी पत्तियों पर लिखी है ..वह कविता …
जिसे मै तलाश रहा हूँ
किशोर कुमार खोरेन्द्र
वाह वाह !