मैं तुमसे प्यार करता हूँ….
अक्सर मैं सोचता हूँ कि,
मैं तुम्हारे संग बर्फीली वादियों में खो जाऊँ !
और तुम्हारा हाथ पकड़ कर तुम्हे देखूं …
तुम्हारी मुस्कराहट ;
जो मेरे लिए होती है , बहुत सुख देती है मुझे…..
उस मुस्कराहट पर थोडी सी बर्फ लगा दूं .
यूँ ही तुम्हारे संग देवदार के लम्बे और घने सायो में
तुम्हारा हाथ पकड़ कर चलूँ……
और उनके सायो से छन कर आती हुई धुप से
तुम्हारे चेहरे पर आती किरणों को ,
अपने चेहरे से रोक लूं…..
यूँ ही किसी चांदनी रात में
समंदर के किनारे बैठ कर
तुम्हे देखते हुए ;
आती जाती लहरों से तेरा नाम पूछूँ ..
यूँ ही ,किसी घने जंगल के रास्तो पर
टेड़े मेडे राहो पर पढ़े सूखे पत्तो पर चलते हुए
तुम्हे प्यार से देखूं ..
और ; तुम्हारा हाथ पकड़ कर आसमान की ओर देखूं
और उस खुदा का शुक्रिया अदा करूँ .
और कहूँ कि
मैं तुमसे प्यार करता हूँ….
कविता बहुत अच्छी है , अगर यही मुहबत शादी के बाद भी रहे तो और किसी जनत की आवश्कता नहीं है.
वाह वाह!