तुम्हारा जाना
गर मैं कहूँ
तुम चले जाओ
तो सच में न चले जाना
क्योंकि
तुम्हारा जाना
मेरी धड़कन का थम जाना
गर मैं कहूँ
तुम बात मत करना
तो सच में
मत चुप हो जाना
क्योंकी
तुम्हारा मौन
मेरी साँसों का रुक जाना
गर मैं कहूँ
भूल जाओ मुझे
तो सच में न बिसर जाना
क्योंकि
एक पल भी मुश्किल है
तुम्हारे बिना मेरा जीना
नाराज़गी तो पल भर की होती है
मगर उस पल आता है रोना
क्योंकि
तुम्हारा भूल जाना
मेरा मर जाना
हे सखी
मानता हु लाखो कमियां हैं मुझमे
पर मेरी हर कमी को स्वीकार करना
हो सके तो
मेरे प्रेम को
तहे दिल से स्वीकार करना
बहुत खूबसूरत प्रेम कविता !