कविता

कविता : हे नीलकंठ !

हे नीलकंठ,
मेरा कंठ भर आता है तुम्हारी महिमा गाते गाते
मेरे ह्रदय का असीम प्रेम सहसा नयनों से छलक उठता है,
और सहसा अश्रुधार इन अधम अंखियों से निकल पड़ती हैं
गला रुंध जाता है, शब्द नहीं निकलते,
और कविता? कविता तो फूटती ही नहीं मन पत्थर से
शिव शब्द स्वयं में ही कविता है,
और महान इतना कि शब्द इसे बाँध नहीं सकते,
ऐसा अद्भुत असीम अगाध दिव्य महिमामंडन किसी का नहीं,
क्या कहें तुम्हे, नाथों के नाथ जिसके होते कोई अनाथ नहीं,
इस जगति के पिता, परमपिता
जब जब विपत्ति के बादल टूटे तब तब तुम आये
जब जब परिस्थितियाँ बिगड़ी तब तब तुम आये
कभी विष पीते हो, कभी जटाओं में गंगा समाहित कर लेते हो,
प्रेम करते हो तो ऐसा कि कोई भेद नहीं देखते
क्रोध करते हो ऐसा कि तब भी कोई भेद नहीं देखते
अहा!! कैसे महिमामंडन करूँ तुम्हारा,
तुम रावण को भी आशीष देते हो और राम को भी
कृष्ण से भी प्रेम करते हो और युद्ध भी,
हे महायोगी, तुम सबकी अंतरात्माओं में समाहित हो
हम सबके जीवन को महकाने वाले परमात्मा हो
तुम्हे हमारा नमन है, बार बार!!

सौरभ कुमार दुबे

सह सम्पादक- जय विजय!!! मैं, स्वयं का परिचय कैसे दूँ? संसार में स्वयं को जान लेना ही जीवन की सबसे बड़ी क्रांति है, किन्तु भौतिक जगत में मुझे सौरभ कुमार दुबे के नाम से जाना जाता है, कवितायें लिखता हूँ, बचपन की खट्टी मीठी यादों के साथ शब्दों का सफ़र शुरू हुआ जो अबतक निरंतर जारी है, भावना के आँचल में संवेदना की ठंडी हवाओं के बीच शब्दों के पंखों को समेटे से कविता के घोसले में रहना मेरे लिए स्वार्गिक आनंद है, जय विजय पत्रिका वह घरौंदा है जिसने मुझ जैसे चूजे को एक आयाम दिया, लोगों से जुड़ने का, जीवन को और गहराई से समझने का, न केवल साहित्य बल्कि जीवन के हर पहलु पर अपार कोष है जय विजय पत्रिका! मैं एल एल बी का छात्र हूँ, वक्ता हूँ, वाद विवाद प्रतियोगिताओं में स्वयम को परख चुका हूँ, राजनीति विज्ञान की भी पढाई कर रहा हूँ, इसके अतिरिक्त योग पर शोध कर एक "सरल योग दिनचर्या" ई बुक का विमोचन करवा चुका हूँ, साथ ही साथ मेरा ई बुक कविता संग्रह "कांपते अक्षर" भी वर्ष २०१३ में आ चुका है! इसके अतिरिक्त एक शून्य हूँ, शून्य के ही ध्यान में लगा हुआ, रमा हुआ और जीवन के अनुभवों को शब्दों में समेटने का साहस करता मैं... सौरभ कुमार!

5 thoughts on “कविता : हे नीलकंठ !

  • स्वर्णा साहा

    सुन्दर. नीलकंठ को शत-शत नमन.

  • ॐ नम: शिवाय! सबको मन भाय!

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत अच्छी कविता .

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत खूब ! ॐ नमः शिवाय !!

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