फर्जी आँसू
हर बार की तरह अबकी बार भी लिखने को कोई शब्द नही है, माफ कर दो वो भूखे गर्भवती हाथनी
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Read Moreइस समय बिगबॉस की टीआरपी कुछ कम चल रही है समाचार वाले भी परेशान है टीआरपी को लेकर मगर भारत
Read Moreमेरे सपनों का भारत कहां होगा लुटते अस्मिता नारी का देखा ज्वाला बहती चिंगारी का देखा, मानवता को गिरते देखा
Read Moreकुछ दिन पहले रात को बाइक से घर लौट रहा था, सड़क के गड्ढे में गिरकर सिर फूट गया। अब घर
Read Moreपतझड़ में बहार ही बहार है चाय की मीठी चुस्कियां गर्म पकोड़ो का बयार है, ठंड की सर्द झोकों में
Read Moreवो एक समाजसेवी थे, समाजसेवी के साथ पशु प्रेमी भी जुड़ा है, उनका समाजसेवा बड़े-बड़े बैनर पोस्टर और समाचार के हेडलाइंस पर
Read Moreनेताजी का चुनाव चल रहा था भाषणबाजी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा था, नेताजी अपने निर्वाचन क्षेत्र में जगह-जगह
Read Moreखेत पर सरसों के फूल खिले फूल खिले फूल खिले बागों में बसंत की आहट आने लगे, हवा के झोंको
Read Moreडेरा तो शहर है गांव ही घर है सच को सच की तरह लिखा, शहर को शहर की तरह लिखा
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