गीतिका/ग़ज़ल अजय अज्ञात 25/04/201725/04/2017 ग़ज़ल मेरे कदमों में अगर आवारगी होती नहीं मंज़िले मक़सूद भी हासिल कभी होती नहीं जिस्मे मखमल को कभी मैंने छुआ Read More
गीतिका/ग़ज़ल अजय अज्ञात 24/04/2017 ग़ज़ल बेसबब मुस्कुरा रहा है कोई देखो ग़म को चिढ़ा रहा है कोई अपनी मर्ज़ी से आ रहा है ना अपनी Read More