कौन सी बात लिखूँ
कौन सी शाम की बात लिखूँ हुई थी या नहीं वोह मुलाक़ात लिखूँ ढलते हुए शाम के साये में उभरते
Read Moreकौन सी शाम की बात लिखूँ हुई थी या नहीं वोह मुलाक़ात लिखूँ ढलते हुए शाम के साये में उभरते
Read Moreआज मुझसे मेरा ही सामना है इसलिए मन थोडा अनमना है हर झगड़े की यही है एक जड़ सभी को
Read Moreहमारे आशियानों में अपना घर रखेंगे, सच में वो आसमानों में पर रखेंगे? रख के मेरे कदमों के नीचे काँटे
Read Moreकोई नहीं समझा वो किसके सहारे पड़ा है , लोग यह समझ बैठे कि वो सबसे बड़ा है सच बोलने
Read Moreअक्शर मेरे गुलाब लगाते ही आपके बालो़े में, आपकी आँखे मुसर्रत से मुझे देख कर झुक जाती है, ना जाने
Read Moreमेरे हर एक दर्द पे बदनामियों का जमघट है हर एक मोड़ पे रुसवाइयों के मेले हैं न दोस्ती, न
Read Moreदिल थामकर जाते है हम जब भी राहे वफ़ा से, ख़ौफ़ लगता है हमे तेरी आँखों की खता से जितना
Read Moreमिट्टी भी जमा की, और खिलौने भी बना कर देखे… ज़िन्दगी कभी न मुस्कुराई फिर बचपन की तरह… ……… जीते
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