गीतिका/ग़ज़ल

साधना है….

आज मुझसे मेरा ही सामना है
इसलिए मन थोडा अनमना है

हर झगड़े की यही है एक जड़
सभी को एक दूसरे से  घृणा है

इस हार को भी तुम जीत मानो
दुश्मनों से भला क्या हारना है

खुद की नजरों में जो उठ न सके
ऐसे इंसान को क्या मारना है

जान देकर डूब जाने को सतह तक
आज उसको लोग कहते साधना है।

— अखिलेश पाण्डेय

अखिलेश पाण्डेय

नाम - अखिलेश पाण्डेय, मैं जिला गोपालगंज (बिहार) में स्थित एक छोटे से गांव मलपुरा का निवासी हु , मेरा जन्म (23/04/1993) पच्छिम बंगाल के नार्थ चोबीस परगना जिले के जगतदल में हुआ. मैंने अपनी पढाई वही से पूरी की. मोबाइल नंबर - 8468867248 ईमेल आईडी -akhileshpandey109@gmail.com Maihudeshbhakt@gmail.com Website -http://pandeyjishyari.weebly.com/blog/1

3 thoughts on “साधना है….

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी ग़ज़ल !

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    अनमना ,हारना ,मारना ,साधना के साथ नफरत तुकबन्दी सही है क्या ?

    • विजय कुमार सिंघल

      अब मैंने क़ाफ़िया ठीक कर दिया है। ये नये रचनाकार हैं। परिपक्वता की कमी है।

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