गीतिका/ग़ज़ल अल्का जैन 'शरर' 28/12/2016 नहीं मिलता हमको अपना पता नही मिलता, कोई घर भी खुला नही मिलता। सिर्फ सरगोशियाँ सी सुनती हूँ, मुझमें आया गया नही Read More
गीतिका/ग़ज़ल अल्का जैन 'शरर' 13/12/2016 ग़ज़ल वो जो इक लौ नहीं भड़कती है, मुझको इंसानियत की लगती है। वक्त से तेज हम जरा निकले, अब घडी Read More
गीतिका/ग़ज़ल अल्का जैन 'शरर' 07/12/2016 ग़ज़ल मेरे लम्हों पे है कुछ तेरी उधारी बाकी तभी सीने मे है सांसों की रवानी बाकी चल उन्ही राहों से Read More
गीतिका/ग़ज़ल अल्का जैन 'शरर' 07/12/2016 ग़ज़ल बातें दिल की अनसुनी रख लेती हूँ, आस्तीनों में नमी रख लेती हूँ, अब चलो ज़िद पे तुम्हारी फिर से Read More