ग़ज़ल
हर राम का जटिल जीवन पथ होगा जब पिता भार्या भक्त दशरथ होगा करके ज़ुल्म करता है वो इबादत कहो
Read Moreहै मुझे स्मरण… जाने जाना जानेमन ! वो पल वो क्षण हमारे नयनों का मिलन जब था मूक मेरा जीवन
Read Moreचक्षुओं में मदिरा सी मदहोशी मुख पर कुसुम सी कोमलता तरूणाई जैसे उफनती तरंगिणी उर में मिलन की व्याकुलता जवां
Read Moreराष्ट्र के रचनात्मक प्रयासों में किसी भी देश के छात्रों का अत्यन्त महत्वपूर्ण योगदान होता है. समाज के एक प्रमुख
Read Moreमैं सत्य बोलना चाहता हूं कुछ अपने बारे में कुछ दूसरों के विषय में लेकिन जब कभी भी मैंने सत्य
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