लघुकथा : समीक्षा
“एक दम नीरस ओर ‘सपाट बयानी’ है ये तो”, वरिष्ठ बड़बड़ाए. पास ही बैठे कनिष्क ने उनके पैरो को हलके
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Read More१- मेरी दीदीहाँ अब बो नानी भी बन चुकी हे लेकिन राखी बांधना नही भूली राखी पर उनका फोन आ
Read Moreआये दिन लटकती लाशे फूल बनने से पहले दम तोड़ती कलियाँ बलात्कार, चोरी , डकैती हत्या , आतंकवाद रोजमर्रा की
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