लक्ष्य
किसी ने पूछा मुझसे जिंदगी का लक्ष्य बदले परिवेश में हर नया क्षण कचोटते कुछ नए प्रश्न पल-पल सशंकित अदना
Read Moreतेरे और मेरे दर्मियाँ बस यादों का रिश्ता है शेष जिस्म बेजान सा जिन्दा लाश बन गयी हूँ मैं तुझसे
Read Moreउम्र भर तुझे ना देखे पलट के तु मेरी नज़र से उतर गया बहुत खूबसूरत था वो ख्वाब जब आंखें
Read Moreकिसान ऐसे वक्त ही ……………………. ताव दिखाने पर तुला तापमान पारा चढता जाता है धधक रही है घरा बहुत सूरज
Read Moreखूरच रहा हूँ ……………. शायद चार दिवारों से घिर कर बन जाता हो घर किन्तु बस इतना काफी तो नही
Read Moreजीवन की तमाम व्यस्तताओं के बाद भी जेहन में कुलांचे भरने ही लगती कोई कविता कभी ठीक अहले सुबह सूरज
Read Moreचलो आज फिर से वो बचपन बिता लें परे किसी तख्ते का बल्ला बना लें भरी दोपहरी में सभी को बुला लें चलो
Read Moreनन्हे कपकपाते हाथ से फाड़ ही डाले उसने अपने काॅपी के दो पन्नें फिर न जाने कितने तिकोने में मोड़
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